तुमकुरू कर्नाटक में विराजमान श्री नाकोडा भैरूजी महाराज
वेगा आवो हो महाराजा,
थोरे नारियल चढ़ा वू रे...!
थोरे नारियल चढ़ा वू रे ,
थोरे नारियल री जोत जगावू रे...!
वेगा आवो ओ म्हारा धणीया,
थोरे मंदिरीया रे घूँघरीयो रा तारणीया लटकावू रे...!
थे रूणझूण करता आवो,
भक्तों रा काज संवारो...!
उडे रे गुलाल थोरी भक्ति में,
भक्तों रे होमो भालो....!
वेगा आवो ओ भैरूजी ,
थोरे जोत जगावू रे...!
।। नाकोड़ा के नाथ को बारम्बार प्रणाम ।।
आँख से टपका आँसू जा गिरा
नाकोड़ा तीर्थ नाकोड़ा भैरूजी के चरणो मे
देख कर नाकोड़ा भैरूजी बोले ये कौन
डूबा है मेरे प्यार मे....
म्हारा आँगणा में खुशियाँ,
थोरा कारण छूँ।
म्हारे सगा-सबंधीयो में म्हारी कदर,
थोरा कारण छूँ।
म्हारा धंधा-पाणी में भरपूर कमाई,
थोरा कारण छूँ।
फिर भी कभी नाकोडा पारस-भैरव भक्ति में
मैं नहीं आयो !
हे ! म्हारा धणी म्हारा ने माफ कर
म्हारा सूँ भूल हुई,
जो म्हारा सूँ कैसे पाप हुओ
।। नाकोड़ा के नाथ को बारम्बार प्रणाम ।।
भविष्यफल के सहारे,
भाग्यउदय की आस रखने वालो।
तभी तो नाकोडा जी म्हारा ने बार बार बुलावे हैं
"नाकोडा पारसजी-भैरूजी रा दर्शन ना होने से,
आज म्हारा धन सूँ जादा मन का नुकसान हो गया।"
फर्क पड़ता हैं,
दिन में अगर एक बार भी नाकोडा वाले के दर्शन ना हो तो फर्क पड़ता हैं
मेरा मन कभी पारसप्रभु की भक्ति की ओर दौडता हैं,
तो कभी भैरव देव की भक्ति की ओर।
आखिर दोनों का प्रेम जो हर पल ,
बरसता ही रहता हैं मेरी ओर।।
बँटवारा हो गया आजकल,
कोई पारसजी को मानता हैं / कोई भैरूजी को मानता हैं।
जहाँ पारसजी हैं वहाँ ही भैरूजी हैं,
ये हर कोई क्यों नहीं जानता हैं ।।
🕉 ह्रीं क्लीं श्री नाकोडा पार्श्व भैरवाय नमः
साँची राखी प्रभःआपरी...
सांस पार्श्व प्रभु से जोड़
साँच आखरे प्रभु नाम की,
सब दुनिया को छोड़...!!!
सांस पार्श्व प्रभु से जोड़
साँच आखरे प्रभु नाम की,
सब दुनिया को छोड़...!!!
ओ भैरूजी थोरे आलीया रे,
आशुपाल रा तोरणीया लटकादू दो ने चार...!
वेगा आवो रे भैरूजी म्हारा,
थोने विनती करूँ रे बारम्बार...!
ओ भैरूजी थोरे आलीया रे,
नारियल री माल लटकादू कहीं हजार...!
वेगा पधारो रे भैरूजी म्हारा
थोने विनती करूँ रे बारम्बार...!
ओ भैरूजी थोरी भक्ति सूँ ,
म्हारो धना-धन हाले घणो व्यापार...!
दुगुनी कमाई होवे,
सुख में रहवे म्हारो परिवार...!
ऐ म्हारा धणी ! टाबरीया सुणने अरदास,
वेगा आवो रे टाबरीया रा सपना करवा साकार...!
वेगा पधारो रे भैरूजी म्हारा,
थोने विनती करूँ रे बारम्बार....!
जय हो श्री नाकोडा पार्श्व भैरव की
ओ जी म्हारा हिवडे में रंग लाग्यो,
म्हारा मनडा में भैरव भक्ति करवारो मन जाग्यो...!
तो चालो चालो नाकोडा रे धाम
दादा रा दर्शन करवा,
पारस-भैरव रो तीर्थ माथे परचो जाग्यो...!
ओ रे पारस-भैरू रे बुलाये मैं तो ,
भक्ति में दौड़कर भाग्यो...!
दादा थोरी भक्ति करता ,
म्हारो भाग जाग्यो...!
ओ जी म्हारा हिवडे में रंग लाग्यो,
म्हारा मनडा में भैरव भक्ति करवारो मन जाग्यो...!
" अब हमें भैरूजी की सेवा में रहना हैं,
ओर भैरूजी का भक्त बनना है " ।
ऐसा होगा तो वाकई में,
भैरूजी की भक्ति करने का मजा आऐगा।।
अरे साहब !
भैरूजी की आरती ले रहे हो,
तो दिल खोल के ही लीजिए ।
हजुर !
दो चार हजार का मुँह मत देखिए,
आरती करने आऐ हो तो आरती कर ही लीजिए ।।
जय हो श्री नाकोडा पार्श्व भैरव की
मेरा बस चले तो एक सौ एक फीसदी,
भैरव भक्ति में ही डूबा रहूँ।
भैरूजी के घर को अपना घर समझ कर ,
दादा की सेवा करते हुए कभी वंचित ना रहूँ।।
जय हो
कुछ मशहूर होने की ललक हम में थी,
ओर कुछ भैरव देव की भक्ति ने हमें मशहूर बना दिया ।
यारो ! एकाएक हमें क्या सुझी
के हमने तो राई भर भैरव भक्ति के लिऐ समय निकला था,
ओर भैरूजी ने खुशियों का पहाड़ दिला दिया।।
जय हो
। । श्री काला भैरवदेव के दर्शन ।।
हालाँकि समय की तंगी के चलते,
आप हर दिन पारस-प्रभु भक्ति नहीं कर सकते ।
लेकिन आप चाहो तो ,
कम से कम रविवारय भक्ति का लाभ तो ले ही सकते हो।